आमीर खान की 3-I सुपर डूपर हिट रही । पिक्चर बहुत ही अच्छी बन पडी है , इसमे कोइ दो राय नही है ।सभी पात्र, चतुर, वायरस , रेंचो, मिलिमीटर ,डॉ. वांगडु ,..... बहुत बढिया रहे। चतुर का स्टेज पर भाषण ..वाह वाह क्या कहने ।
पिक्चर ने आज के youngsters,college going students एवम teen agers पर गहरी छाप छोडी है ।
कहानी ज़बर्दस्त है ।
परंतु ..कुछ बाते खटक गयी ।
हीरो का हर समय घूमना फिरना, मौज मस्ती मे लगे रहना , यह सन्देश देना कि सिर्फ किताबी पढाई से कुछ नही होगा,..फिर भी exams मे हमेशा टॉप करना !!!
पढाई के दौरान टीचर के दबाव के विरोध मे छात्रों का आत्म हत्या के लिये उतारू हो जाना !!!!
पता नही यह देख कर वे बच्चे जो अभी 10 वी,11वी और 12 वी मे पढ रहे है और किसी ना किसी professional college मे admission के लिये entrance test की तैयारी मे लगे है, क्या सबक लेंगे ।
I hope all is well ,all is going to be well, always...
एक दम सही analysis है /
जवाब देंहटाएंमेरी पेह्चान मे एक 8 th क्लास क बच्चा है,उस्ने ये फ़िल्म अप्नि मम्मी के साथ देखी,और उस्के बाद से वो दोनो studies के प्रति non-serious हो गये है/
और अमिर खान खुद बारहावी पास है /
एक दम सही विश्लेशन है आपका सन्हिता जी /
पर इसका हल क्या है ?
all is well.narayan narayan
जवाब देंहटाएंGantantr diwas kee anek shbhkamnayen!
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
जवाब देंहटाएं@ अजय जी ,ब्लॉग पर टीप्पणी के लिये धन्यवाद। आपके ब्लॉग पर लगा तिरंगा अदभूत है ।मै अपने ब्लॉग पर भी तिरंगा लगाना चाहूगी ।
जवाब देंहटाएंvery nice....
जवाब देंहटाएंकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
जवाब देंहटाएंधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें .http://www.janokti.com/ ,