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सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

ज़ींदगी कहीं गुम है

ए सी ऑफिस ,बडा सा केबिन ,दिन भर मीटींग्स ,लोगों से मिलना ।
दुख सुख कहने सुनने वाला लंगोटिया यार कहीं गुम है ।

लाखों का पे पैकेज, बडी सी गाडी, भरपूर सेविंग्स,
जी भर के शॉपिंग, हाई फाई लिविंग |
सामानो के इस ढेर मे माँ का आँचल कहीं गुम है ।

वीक एंड्स मे पार्टियाँ ,कभी पब और डिस्को , चीयर्स चीयर्स की चिल्लाहट ,
इस कोलाहल मे मन्दिर मे आरती ,मंजीरो का नाद कहीं गुम है ।

कार की स्पीड मे बचपन की साइकिल की सवारी
होटल के खाने मे , अम्मा के हाथों छौकी दाल की नीवारी
पिक्निक स्पॉट मे ,नानी के गाँव की गली
डी जे,वीजे के शोर मे कान्हा की मुरली कहीं गुम है ।

कॉनवेंट की पढाई है, अब बाराखडी कहाँ ,
हाय, हैलो की दुनिया मे बस औपचारिकता यहाँ
बस चार लोगो का परिवार अब,रिश्ते नाते कुछ नही
सीमेंट के जंगल मे ,माटी की खुशबू कहीं गुम है ।

हम है अपने करीअर के टेंशन मे ,हर दम चिंता सता रही ,
किस का, कहाँ,कैसा हिसाब लगाऊँ,बाकि कुछ पता नही
रेलम पेल और आपाधापी
ज़ींदगी कहीं गुम है । ज़ींदगी कहीं गुम है ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है !!
    शान्दार !..
    जान्दार !
    लाजवाब !
    अद्वितिय
    अनुपम...
    बेहत्रीन !!
    .....................................

    जवाब देंहटाएं
  2. regarding sahita ji,
    aap ka blog dekhne ka shoubhagya prapt hua, accha laga. chahuga ki aap hamare blog http://wwww.aakharkalash.blogspot.
    ke liye apni rachnaye pradan karege to blog ki shobha or badege,
    sadar

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  3. मन वाली कविता कब पुरी होगी ??

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  4. ज़ींदगी कहीं गुम है
    सोमवार, २२ फरवरी २०१०

    ए सी ऑफिस ,बडा सा केबिन ,दिन भर मीटींग्स ,लोगों से मिलना ।
    दुख सुख कहने सुनने वाला लंगोटिया यार कहीं गुम है ।

    लाखों का पे पैकेज, बडी सी गाडी, भरपूर सेविंग्स,
    जी भर के शॉपिंग, हाई फाई लिविंग |
    सामानो के इस ढेर मे माँ का आँचल कहीं गुम है ।
    Aaah!
    Holee kee anek shubhkamnayen!

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  5. Bahut dinon se aapne likha nahi..wyast hain?

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